Friday, January 8, 2016

आंटी और उनकी बेटी का प्यार और चूत चुदाई -1

आंटी और उनकी बेटी का प्यार और चूत चुदाई -1

(Aunty Aur Unki Beti Ka Pyar Aur Chut Chudai-1)

समीर 777 2016-01-08  Commentsप्रणाम दोस्तो.. 
मैं सैम आपके सामने फिर से एक नई कहानी लेकर आया हूँ। पिछली कहानी मामा की लड़की की चूत चुदाई को बहुतों ने पसंद किया.. मैं एक प्राईवेट कम्पनी में काम करता था.. जिस कारण से मुझे जगह-जगह जाना पड़ता था.. जिसमें कि कभी-कभी बहुत दिन भी लग जाते थे.. और कभी कुछ काम जल्दी भी हो जाते थे।
नवम्बर 2012 की बात है, इस बार मुझे कुछ ज्यादा ही दिन के लिए काम के सिलसिले में दूसरी जगह जो कि एक गांव था.. उसमें जाना पड़ा, जहाँ मुझे एक महीना रुकना पड़ा था।मैं सुबह बस से वहाँ के लिए निकल गया। मेरी कम्पनी ने मेरे रहने-खाने की व्यवस्था कर दी थी।
मैं उनके घर पहुँचा.. तो उन सबने मेरा स्वागत किया। मुझे भी अच्छा लगा कि कम्पनी ने मेरी अच्छी जगह पर व्यवस्था की है। वहाँ पहुँचने के बाद सबसे मेरा परिचय हुआ..
जिस घर में रहना था.. वहाँ पर 4 सदस्य रहते थे, अंकल राजेश यादव 50 वर्ष.. आंटी रुक्मणी यादव, 42 वर्ष और उनके दो बच्चे निक्की 20 साल और बंटी 18 साल के थे।
उनका घर बहुत बड़ा हवेली जैसा था, अंकल वहाँ के जमींदार थे, उनका शौक भी नवाबी था.. दारू हुक्का बहुत पीते थे।
बंटी ने मुझे मेरा कमरा दिखाया। फ्रेश हो कर मैं अंकल से मिलने गया और साईट के बारे में पूछा.. तो अंकल ने मुझे साईट के बारे में बताया।
मैं बोला- साईट देखने जाना है।
वो बोले- खाने के बाद जायेंगे.. ठीक है।
इतना बोल कर वे चलने लगे। फिर मैं उनकी हवेली देखने के लिए उनको रोक कर पूछने लगा.. तो उन्होंने बंटी को आवाज लगाई.. पर वो नहीं आया और उसकी जगह निक्की आई।
तो अंकल ने उससे पूछा- बंटी कहाँ है?
निक्की बोली- उसे मम्मी ने सामान लेने शहर भेजा है।
अंकल बोले- सैम को हवेली दिखा दे.. मैं थोड़ा आराम करने जा रहा हूँ।
‘जी ठीक है..’
इतना बोल कर वे चले गए। फिर निक्की मुझे हवेली दिखाने लगी और उसके बारे में बताने लगी। सब जगह एकदम बेहतरीन नजारा लग रहा था।
मैं बोला- तुम्हारा घर बहुत खूबसूरत है.. पर तुम इससे भी ज्यादा खूबसूरत हो।
तो वो गुस्से से मुझे देखने लगी.. तो मैं बोला- कुछ गलत बोला क्या?
तो वो बोली- नहीं.. लेकिन दुबारा मत बोलना.. नहीं तो पापा को बता दूँगी।
मेरी बात करने की शैली मेरे हिसाब से ठीक-ठाक है।
मैं निक्की को बोला- मैं तुम्हारी तारीफ अंकल के सामने कर दूँगा, तुम्हें बताने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी।
वो मुझे देखने लगी और हँस के चली गई।
फिर कुछ देर बाद अंकल और मैं साईट पर चले गए। साइट देख कर घर आए और शाम को सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे। अंकल ने पूछा- हवेली देख ली सैम?
मैं अंकल से बोला- आपकी हवेली देखने में बहुत खूबसूरत है और दिखाने वाली भी बहुत खूबसूरत हैं अंकल।
अंकल ने कुछ नहीं कहा।
फिर रात को खाना खाने बैठे.. सब थे पर अंकल नहीं थे.. तो आंटी से पूछा- अंकल कहाँ हैं?
तो आंटी बोली- और कहाँ गए होंगे.. गए हैं अपनी मौज-मस्ती करने.. दारू- सारू पीने के लिए..
वो बोल कर बैठ गईं और बड़बड़ाने लगीं।
वे दु:खी होकर रोते हुए चली गईं।
मैंने बंटी से पूछा- आंटी क्यों चली गईं?
तो वो बोला- पापा नशे में आते हैं और मम्मी को मारते हैं.. जिसके कारण मम्मी परेशान रहती हैं। तुम खाओ इनका रोज का यही हाल है।
फिर मैं बंटी और निक्की खाना खत्म करने के बाद उठ गए।
जाते वक्त मैंने बंटी को बोला- खाना बहुत लज़ीज़ था, किसने बनाया था?
बन्टी बोला- निक्की ने खाना बनाया था।
मैं निक्की से बोला- निक्की जी.. आप बहुत अच्छा खाना बनाती हैं इतना स्वादिष्ट खाना खिलाने के लिए शुक्रिया।
निक्की बोली- आप हमारे मेहमान हैं और मेहमान-नवाजी में हम कोई कमी नहीं करते हैं।
फिर हम लोग सोने चले गए।
देर रात को अंकल जी आए और अंकल-आंटी के बीच में बहुत झगड़ा हुआ। आवाजें सुनाई दे रही थीं.. मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तो मैंने बाहर जाकर देखा.. निक्की बन्टी बाहर बैठ कर रो रहे थे।
मुझे बुरा लगा.. मैं उनको साथ लेकर अंकल के कमरे में गया और उनको डांटने लगा और बच्चों को रोते हुए दिखाया। बच्चों को देख आर उनके आँख में आँसू आ गए.. वो सीधे सोने चले गए।
अब आंटी को उन्होंने बहुत मारा था.. जिस कारण से वो ठीक से नहीं चल पा रही थीं। हम तीनों ने आंटी को सहारा देकर कमरे में लेकर आए और उन्हें बिस्तर पर बिठा दिया, निक्की ने उनको पानी दिया।
आंटी पानी पीने के बाद कुछ देर बैठी रहीं.. और बन्टी व निक्की के साथ उनके कमरे में चली गईं।
मुझे भी सोने जाने को बोलीं.. मैं अपने कमरे में चला गया.. और सो गया।
मैं सुबह 6:30 पर उठा.. तो निक्की मेरे कमरे में चाय लेकर आई। मुझे विश किया और चाय देकर चल दी। क्या क़यामत लग रही थी.. मन कर रहा था कि वहीं पकड़ कर चोद दूँ.. उसे देख कर लण्ड खड़ा हो गया था। मैं निक्की की याद में बाथरूम में जाकर मुठ्ठ मारने लगा।
निक्की का फ़िगर 34-30-36 का था। क्या गदराया जिस्म था.. तन-मन में आग लगा दे।
आधा घंटे तक निक्की की याद में 61-62 निक्की-निक्की करते-करते मुठ्ठ मार के फ्रेश होकर आया।
तभी बन्टी नाश्ते के लिए बुलाने आया नाश्ते की टेबल में निक्की से मुलाकात हुई, मैं उसे देख कर मुस्कुरा दिया.. उसने भी मुझे देख़ कर स्माइल दी।
मैं और बन्टी साथ में बैठे थे, आंटी शायद अभी भी सोई हुई थी।
मैंने बन्टी से पूछा.. तो बन्टी ने बताया- मम्मी को बुखार आ रहा है।
‘और अंकल कहाँ हैं?’
बन्टी बोला- वो सुबह-सुबह दूसरे गांव चले गए हैं। वहाँ कोई रिश्तेदार खत्म हो गया है.. इसलिए वो गए हुए हैं। वो 7 दिन के बाद आएंगे।
‘और तुम लोग वहाँ जाओगे या नहीं?
बन्टी बोला- मैं और निक्की कल जायेंगे.. आज हमारा अर्धवार्षिक पेपर खत्म होने वाले हैं।
‘और आंटी कैसे करेंगी?’
बोला- माँ की तबियत ख़राब है.. और पापा और माँ का झगड़ा हुआ है.. तो वो घर पर ही रहेंगी और तुम भी तो हो उनका ख्याल रखने के लिए।
‘हम्म..’
‘अच्छा.. अब हम स्कूल चलते हैं.. पेपर को लेट हो जाएँगे।’
वो दोनों स्कूल चले गए.. रह गए मैं और आंटी।
आंटी सोई हुई थीं.. मैं गया.. उनको बताने के लिए कि मैं साईट पर जा रहा हूँ। पर आंटी बेसुध सोई हुई थीं.. उनका पेटीकोट ऊपर उठा हुआ था। जिसके कारण उनकी पैंटी दिखाई दे रही थी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया..
तभी आंटी भी जाग गई थीं.. उन्होंने मेरे लण्ड को उभरे हुए देख लिया और सोने का नाटक करने लगीं.. मैं कमरे में थोड़ा अन्दर जाकर आंटी के बदन को निहार कर देखने लगा। उनका मस्त उभरा हुआ सीना जिस में ब्लाउज़ से ढके हुए उनके मम्मे तने हुए थे।
फिर मैंने बाहर आकर आंटी को आवाज़ दी- आंटी मैं साईट पर जा रहा हूँ।
ऐसा बोल कर मैं साईट पर चला गया और जब वहाँ भी मेरा मन नहीं लगा.. तो जल्दी ही घर वापस आ गया।
घर में आकर देखा तो आंटी इस प्रकार सोई हुई थीं कि मैं उनके पास गया तो एकदम सेक्सी नजारा दिख रहा था।
आंटी बस पेटीकोट और ब्लाउज़ पहने हुई लेटी थीं। मैंने आंटी को कामुक निगाहों से घूर कर देखा.. तो उनके पेटीकोट से सीधे उनकी चूत के दीदार हो रहे थे। मेरा लण्ड फिर से तन कर खड़ा हो गया। गजब का रोएंदार चूत थी।
मैं कमरे से बाहर आ गया और आंटी को आवाज़ देने लगा.. पर आंटी बोलीं- सैम.. मैं नहीं उठ सकती.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। क्या तुम रसोई से थोड़ा सा सरसों का तेल लाकर मेरी थोड़ी देर मालिश कर दोगे.. अगर तुमको बुरा न लगे तो?
मेरे लिए तो सोने पे सुहागा जैसा हो गया, मैं बोला- ठीक है.. आंटी लेकर आ रहा हूँ।
मैं सरसों का तेल लेकर आया और बोला- आंटी ठीक से लेट जाओ।
आंटी बोलीं- जाओ पहले दरवाज़ा बन्द करके आओ।
मैं दरवाज़ा बन्द करके आया.. बोला- आंटी तेल कहाँ लगाना है?
बोलीं- पूरे बदन में दर्द है।
मैं बोला- ठीक से लेट जाओ और कपड़ों को जरा ऊपर को कर दो।
आंटी ने लेट कर कपड़ों को ऊपर किया, मैंने तेल लगाना चालू किया। पहले मैंने उनके हाथों में लगाया.. फिर उनके पैरों में लगाया।
फिर आंटी को बोला- आंटी कपड़ों को थोड़ा ऊपर को कर दो.. नहीं तो तेल लग जाएगा.. तो कपड़े ख़राब हो जाएंगे।
आंटी बोलीं- तुम ही कर दो।
मैं खुश हो गया और उनके कपड़ों को कूल्हों तक ऊपर कर दिया। अब आंटी का पूरा भोसड़ा दिख रहा था। मैंने मालिश की.. धीरे-धीरे मैं अपने हाथ को उनकी चूत में टच कर देता था.. जिसके कारण आंटी भी उत्तेजित हो रही थीं।
कुछ देर बाद बोलीं- ऊपर भी तेल लगा दे न..
मैं बोला- किधर लगाऊँ.. पीठ में.. कि सीने में?
आंटी बोली- पहले अपने कपड़ा खोल दे.. फिर मेरी पीठ में लगा दे.. बाद में सीने में भी लगा देना।
मैं अपने कपड़े खोल कर तैयार हो गया और उनकी पीठ पर चढ़ गया। उनकी पीठ में तेल लगाने लगा। मेरा लण्ड खड़ा था.. जो कि उनकी गांड की दरार में लग रहा था। मैं अंडरवियर पहने हुआ था.. तो लौड़े का दवाब कम लग रहा था।
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आंटी बोलीं- पूरे कपड़े खोल कर बैठ जा.. फिर आराम से मालिश कर।
मैं समझ गया कि अब चूत तैयार हो गई है तो मैं तुरंत चड्डी निकाल कर उनकी चूतड़ों पर बैठ गया।
दोस्तो.. माँ-बेटी की चुदाई की कहानी बहुत ही रसीली है इसका अंत तक मजा लीजियेगा ....कहानी जारी है

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