लखनऊ के नवाब जैसा ठाट
में अब बहुत बड़ी असमंजस में फंस चुका था और फिर में अपने ऑफिस की टेबल पर सर रखकर सोच रहा था कि सात दिन में कहाँ पर रहूँगा. कोई होटल ले लूँ तो वो मेरे ऑफिस से कम से कम 25 से 30 किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन के पास था. में अब सोच रहा था कि अब क्या किया जाए? तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दी कि सर किस सोच में हो आप? तो मैंने जब सर उठाकर देखा तो वो हमारी कंपनी में काम करने वाला हमारा वेंडर (ठेकेदार) अब्दुल रहमान था. उन्होंने मुझसे पूछा कि जनाब 8 बज चुके है क्या घर जाना नहीं है? तो मैंने उन्हे कहा अभी मुझे घर मिला नहीं है और रात भी हो गई है क्यों ना में आज रात ऑफिस में ही रुक जाता हूँ कल सुबह कोई इंतज़ाम देख लूँगा?
तभी उन्होंने मुझे बताया कि रात को ऑफिस में रुकना सही नहीं रहेगा, क्योंकि हमारा ऑफिस थोड़ा शहर से बाहर था तो वहां पर चोरों का ख़तरा बहुत था, तो अब्दुल मियाँ ने कहा कि आज रात आप मेरे घर पर चलो कल सुबह की कल सुबह देख लीजिएगा और मैंने उन्हे बहुत मना किया, लेकिन वो माने ही नहीं और वो मुझे जबरन अपने घर पर ले गए. उनका घर पास में ही था और उनका बहुत बड़ा कई सारे कमरों का घर था. हमारे घर पर पहुँचते ही उनकी बेगम ने हमारा सत्कार किया और फिर अब्दुल मियाँ ने मेरा परिचय उनको दिया.
अब्दुल मियाँ ने अपने परिवार से मेरा परिचय करवा दिया. उनके परिवार में बहुत सारे लोग थे उनकी माता जी, उनकी बेगम, उनके 6 बच्चे और 4 भाई भी थे और उनकी बीवी और बच्चे अब्दुल मियाँ अपने भाइयों में दूसरे नंबर के भाई थे. उनके बड़े भाई की बीवी की कुछ सालों पहले मौत हो चुकी थी और वो अपने 3 बच्चों के साथ यहीं पर रहती थी. उनकी जॉइंट फॅमिली थी और पिछले इतिहास से वो लोग नवाबो के खानदान से थे और सारे भाई अलग अलग व्यपार करते थे. मेरे वहां पर आने की खुशी में अब्दुल मियाँ ने गोश्त बनवाया और हम सबने मिलकर मज़े लेकर खाया और फिर सोने चले गये और अब्दुल मियाँ ने मुझे मेरा कमरा दिखाया और में सोने जा ही रहा था कि मैंने देखा कि मेरा कमरा पहली मंजिल पर थोड़ा गली में था कि तभी अचानक से मुझे किसी की पायल की आवाज़ सुनाई दी.
फिर मैंने उठकर देखा तो मुझे किसी के हंसने की आवाज़ भी सुनाई दी और अब जैसे ही में बिस्तर से उठकर खड़ा हुआ तो किसी के भागने की आवाज़ आई और मुझे कुछ बच्चे भागते हुए नज़र भी आए तो में भी जाकर सो गया. फिर में सुबह जैसे ही उठा तो मेरा सारे सफ़र की थकावट उतर गई थी. मैंने दरवाज़ा खोला तो पूरा परिवार नीचे बरामदे में जो कि मुझे अपने कमरे से बाहर निकलते ही दिखता है और यह देखकर जैसे ही में पलटा तो मुझे कुछ ऐसा नज़र आया जिसे देखकर में बिल्कुल दंग ही रह गया.
दोस्तों वो थी शबीना, मैंने उसे देखा और बस एक टक नजर से देखता ही रह गया और अचानक से सोचने लगा कि यह लड़की कौन है? कल रात को जब पूरे परिवार से मुलाक़ात हुई थी तब यह तो वहां पर नहीं थी? में बहुत देर तक उसके बारे में सोचता रहा और शबीना की खूबसूरती को निहारता निहारता नीचे उतर आया और बस मेरी नज़र शबीना से हटने को ही तैयार नहीं थी. मेरे सामने एक बला की खूबसूरत लड़की थी. उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो. उसने हल्के नीले कलर का सूट पहना हुआ था और सर को एक सफेद रंग की चुन्नी से ढका हुआ था में तो बस उसे देखता ही रह गया. जैसे ही में नीचे पहुंचा तो अब्दुल मियाँ मेरे पास आए और मुझसे आदाब कहा पूछा कि जनाब रात की नींद कैसी रही? तो मैंने भी उनको नमस्ते कहा और कहा कि मेरी रात बहुत अच्छी निकली. फिर अब हम बातें करने लगे, तभी अब्दुल मियाँ ने शबीना को बुलाया और उसका मुझसे परिचय करवाया और बोला कि कल रात को वो आपसे मिल ना सकी क्योंकि यह पड़ाई करते करते सो गयी थी, वो उनके बड़े भाई की सबसे बड़ी लड़की थी.
दोस्तों वो बहुत शर्मीली लड़की थी. उसे देखते ही दिल उसके कदमों पर रखने को किया. उसकी हाईट 5.7 के करीब होगी. उसकी काली, काली बड़ी, बड़ी आँखें कमर से भी नीचे तक काले, लंबे बाल और फिगर तो पूछो ही मत 34-26-34 के करीब होगा और उसकी उम्र भी कुछ 20-21 साल की होगी. वो कॉलेज में पड़ती थी और आज कल उसकी शादी के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढा जा रहा था.
फिर उसने मुझसे सलाम किया और सर झुकाकर चली गयी. अब में और अब्दुल मियाँ भी नहा धोकर तैयार होकर नाश्ता करके वहां से ऑफिस के लिए निकल गये और फिर उसी शाम को अब्दुल मियाँ ने मुझसे कहा कि जब तक आपको कंपनी की तरफ से कोई फ्लेट नहीं मिलता तब तक आप हमारे साथ ही रह जाये और उनके बच्चो की भी परीक्षा का समय चल रहा है अगर उन्हे कोई समस्या होगी तो वो मुझसे पूछ भी लेंगे और फिर मैंने उनकी हाँ कर दिया. दोस्तों सिलसिला अब शुरू हो गया और अब्दुल मियाँ ने अपने बच्चो को बोल दिया कि उन्हे पढ़ाई में कोई भी समस्या हो तो वो मुझसे पूछ लिया करे. फिर उस शाम को जैसे ही हम घर पर पहुँचे और पहली मंजिल पर अपने कमरे की तरफ जा रहा था तो मैंने देखा कि बच्चो के कमरे की खिड़की खुली हुई थी और शबीना टेबल पर बैठकर अपनी पढ़ाई कर रही थी और में बस वहीं पर एकदम रुक सा गया और अब में सोचने लगा कि काश वक़्त यहीं थम जाए और में ऐसे ही शबीना की सुंदरता को निहारता रहूँगा.
फिर में कुछ देर बाद अपने कमरे में चला गया और अपने प्रॉजेक्ट पर काम करने लग गया. तभी पीछे से अब्दुल मियाँ के बच्चे मेरे पास आए और उनके पीछे शबीना सर झुकाए हुई बहुत सहमी हुई सी खड़ी हुई थी. अशरफ जो कि अब्दुल मियाँ का तीसरे नंबर का बेटा है बोला कि शब्बो दीदी को कुछ समस्या है और अब्बा ने बोला है कि आप उसकी समस्या को हल कर दो और शब्बो दीदी को समझा भी दो कि यह कैसे करना है? इतने में अब्दुल मियाँ की बेगम मेरे लिए चाय लेकर आई और बोली कि इसको एकाउंट्स में बड़ी दिक्कत है और अब इसके पेपर भी सर पर है. जब तक कि में यहाँ पर हूँ इसकी थोड़ी मदद कर दूँ. तो मैंने जवाब दिया कि भाभी जी आप चिंता ना करे, जब तक में यहाँ पर हूँ रोज़ शाम को एक घंटा में इन्हे ट्यूशन दे दूँगा, इसके अलाव की और को भी कोई दिक्कत हो तो वो भी मेरे पास देर रात को भी आकर पूछ सकते है, इन्हें हिचकिचाने की किसी को कोई ज़रूरत नहीं है.
फिर वो बहुत खुश हुई और अब धीरे धीरे में उनके परिवार में एक सदस्य की तरह हो गया सब लोग मुझे पसंद करने लगे थे बच्चों से लेकर बड़े तक, लेकिन शबीना हमेशा मेरे सामने बहुत घबराई हुई सहमी सहमी अपने सर को झुकाए हुए रहती. दोस्तों मेरा एक हफ़्ता वहां पर कैसे बीत गया मुझे पता भी नहीं चला और अब मेरा वहां से जाने का वक़्त आ गया था. घर के सब लोग मेरे जाने से बड़े दुखी थे. सभी लोग मुझसे कहने लगे कि आप यहीं पर रह जाओ. मैंने उनसे कहा कि में यहाँ पर आता जाता रहूँगा और मेरा भी वहां से शबीना को छोड़कर जाने का बिल्कुल भी दिल नहीं था. अब में शहर में रहने चला गया और फिर एक दिन में ऑफिस से घर पर जा रहा था और जैसे ही शहर में बस स्टॉप पर मेरी नज़र पड़ी तो वहां पर शबीना खड़ी हुई बस का इंतज़ार कर रही थी.
मैंने अपनी बाईक रोकी और उल्टा चक्कर मारकर बस स्टॉप पर शबीना के पास आ गया और पूछा कि शबीना तुम यहाँ पर कैसे? तो वो एकदम से घबरा गयी और फिर उसने इधर उधर देखा और बोली कि में घर पर जा रही हूँ और बस का इंतज़ार कर रही हूँ. तो मैंने उससे कहा कि में भी ऑफिस जा रहा हूँ ( दोस्तों मैंने वो उससे एक बहाना मारा था ) चलो रास्ते में तुम्हे घर पर छोड़ देता हूँ, वो पहले तो नहीं मानी फिर मेरे बहुत ज़िद करने पर चलने को तैयार हो गई. मैंने उसे बाईक पर पीछे बैठाया और फिर चल पड़ा. उसका पहली बार छूना ऐसा था कि मेरे तन बदन में आग लगा दी और जैसे ही में ब्रेक लगाऊँ तो उसके बड़े बड़े स्तन जैसे ही टकराते नीचे से पेंट के अंदर ही टेंट खड़ा हो जाता और में मन ही मन बहुत खुश होता.
अब रोज़ शाम को में शबीना को स्टॉप से लेकर घर पर छोड़ता और धीरे धीरे वो भी मुझसे खुलने लगी. कुछ दिनों के बाद में ऑफिस में था. सुबह के 11 बजे थे और मेरे फोन पर एक कॉल आया तो मैंने उस बहुत सुरीली सी आवाज़ में हैल्लो सुना तो मैंने पूछा कि आप कौन हो? तो वो शबीना थी और वो कहने लगी कि आज मेरे कॉलेज में कोई प्रोग्राम है उसका जाने का दिल नहीं है क्या में उसे लेने आ सकता हूँ? तो मैंने उसे झट से हाँ कह दिया और में ऑफिस में बोलकर निकल गया और अब शबीना वहां पर रोज़ की तरह बस स्टेंड पर मेरा इंतजार कर रही थी. में वहां पर पहुँचा और पूछा कि क्या हुआ? तो वो मुझसे बोली कि कुछ नहीं चलो कहीं बाहर घूमने चलते है.
मैंने कहा कि ठीक है हम सबसे पहले फिल्म देखने चले गये. उस दिन वो बड़ी सजधज कर आई थी, मैंने पूछा तो बोली कि कॉलेज में आज उसकी पार्टी थी और अब उसने उदास होकर मेरे कंधे पर सर रख दिया और उसकी आँखे बिल्कुल नम पढ़ गयी और फिल्म खत्म होते ही शबीना मुझसे बोली कि चलो अब तुम्हारे घर पर चलते है तो में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत चकित हो गया और फिर हम दोनों मेरे रूम पर आ गए और जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया तो पीछे से शबीना ने मुझे पकड़ लिया और रोने लगी बोली कि अब्बा ने मेरे लिए एक लड़का ढूंड लिया है और अब मेरा कॉलेज भी आज ख़त्म हो गया है. अब कल से में तुम्हारे साथ नहीं आ सकती में तुम्हारी होना चाहती हूँ और में तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ.
उसके मुहं से यह बात सुनकर में चकित हो गया और मैंने उसे अपनी आगोश में ले लिया और चूमने लगा. वो भी अब धीरे धीरे मदहोश होकर मेरा साथ देने लगी तो में शबीना को गोद में उठाकर बेडरूम की तरफ ले गया और उसे बेड पर लेटा दिया और फिर उसे लगातार किस करता रहा. वो कहने लगी कि में सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ मैंने कई बार सपनो में तुम्हारे साथ सेक्स किया और अपना पानी छोड़ा है, प्लीज आज मेरे सारे सपने पूरे कर दो आज मेरी जवानी का फल मुझे दे दो में तुम्हारे लिए आई हूँ. में जोश में आ गया और अचानक से शबीना ने मुझे धक्का मारा और अब वो मेरे ऊपर आ गई.
फिर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी और मेरी छाती को चाटने लगी. वो मेरे निप्पल को चाट रह थी. फिर कुछ देर बाद उसने खुद अपनी कमीज़ उतारी और जैसे ही उसने अपनी कमीज़ उतारी तो नीचे उसका दूध के जैसा गोरा बदन मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था. उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि उसके बड़े बड़े बूब्स उनमे से निकलकर बाहर आने को बेकरार हो रहे है फिर वो वापस मेरे ऊपर लेट गयी और अब वो अपने स्तन मेरे चेस्ट पर रगड़ने लगी. जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उसके स्तन बिल्कुल मुलायम मुलायम एकदम गोल बड़े आकार के थे और अब मैंने उसे नीचे गिराया और उसके ऊपर आ गया.
में उसकी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा वो और भी पागल सी हो गई. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और अपने दांतो की मदद से उसकी सलवार को उतारने की कोशिश करने लगा और वो बैचेन सी हो गयी और अब उसने खुद ही अपनी सलवार को पूरी तरह से उतारकर एक साईड कर दिया और उसकी मोटी मोटी जांघे अब धीरे धीरे मुझे अपनी तरफ ललचा रही थी. उसने लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी तो में उसे देखकर पागल सा हो गया और मैंने उसका पैर ऊपर उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और उसके तलवों को चाटने लगा और उसकी पैर की उंगलियों को चूसना शुरू किया.
अब मेरे ऐसा करने से शबीना भी पागल सी हो गयी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी. मैंने उसे उल्टा कर दिया और उसके कूल्हों को चाटने लगा और ऊपर की तरफ उसकी पीठ पर चढ़ गया. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसे जैसे ही सीधा किया तो उसके बड़े बड़े बूब्स मेरे सामने थे और उसके निप्पल एकदम गुलाबी कलर के थे. मैंने उन्हे धीरे धीरे अपने दोनों हाथों से सहलाना शुरू किया और शबीना सिसकियाँ भरने लगी और एकदम से सिहर उठी.
फिर मैंने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटा तो वो चीख पड़ी अफ उह्ह्ह्ह माँ में तो मर ही जाउंगी ऊईईईईईइ प्लीज थोड़ा जल्दी करो, अब मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज अब कुछ करो. तो मैंने उससे कहा कि मेरी रानी वैसे मुझे तो इतने दिनों के बाद तुम्हे चोदने का मौका मिला है और आज तो पूरी की पूरी कामसूत्र की किताब तुझे पढ़नी है, देख आज कितना मज़ा आएगा. फिर में धीरे धीरे उसके बूब्स को चूसते चूसते नीचे की तरफ आ गया और उसकी पेंटी के ऊपर से ही में उसकी चूत को चाटने लगा और उसकी पूरी चूत को अपने मुहं में ले लिया. उस समय शबीना मेरा सर पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगी और एक ही झटके में मुझे हटाकर अपनी पेंटी को भी उतार फेंका और अपने दोनों पैरों को खोलकर मुझे अपनी चूत को चूसने का इशारा करते हुए नीचे बैठ गयी.
मैंने भी उसकी जांघो को चाटना शुरू किया और उसकी दोनों जांघे अपने कंधे पर रखी और अब में उसके दोनों पैरों के बीच में लेट गया और उसकी चूत को चाटने लगा और उसे अपनी जीभ से चोदता रहा और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स भी दबाता रहा. शबीना भी अपनी कमर को उछालती हुई मज़े ले रही थी और सिसकियाँ ले रही थी उफफफ्फ़ आअहहह्ह्ह हमम्म्ममममोह चोदो मुझे क्यों तड़पा रहे हो, में अब पूरी तरह से गरम हो चुकी हूँ और फिर उसने मुझे धकेलकर मुझे अपने से अलग कर दिया और मेरी पेंट उतारने की कोशिश करने लगी और मेरी पेंट उतारने बाद मेरी अंडरवियर को नीचे किया तो मेरा काला 6 इंच का मोटा लंड देखकर उसकी आँखो में एक अजीब सी ख़ुशी की चमक सी आ गई और ज़ोर से हंसते हुए उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और वो ज़ोर ज़ोर से एक अनुभवी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.
अब तक हम दोनों पूरे गरम हो रहे थे और मैंने उससे 69 पोज़िशन में आने को कहा और मैंने उससे पूछा कि तुम इतना अच्छा कैसे कर लेती हो? तो वो बोली कि में आपका ख्याल रखते हुए मैंने कई सारी पॉर्न फिल्म नेट पर देखी है और में बस अब वैसा ही करने की कोशिश कर रही हूँ. फिर मैंने कहा कि वाह तुम बहुत अच्छा कर रही हो और हम 69 पोज़िशन में आ गये और में उसकी रसीली चूत को चाट रहा था और वो मेरे लंड पूरा का पूरा अंदर ले जाकर चूसती और फिर एक लंबी सी साँस लेती और लंड मुहं से बाहर निकालती.
अब शबीना एकदम सीधी हुई और मेरे खड़े लंड पर बैठने की कोशिश करने लगी और कहती कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन में इस दर्द के पीछे छुपे हुए मज़े को खुद महसूस करना चाहती हूँ और बहुत देर तक लगातार कोशिश के बाद भी बस मेरे लंड का टोपा ही उसकी चूत के अंदर गया था, क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी थी और अब तक सील पेक भी थी इसलिए मेरा 6 इंच मोटा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था और थोड़ा ज्यादा अंदर लेते ही शबीना एकदम से उछल पड़ती और लंड को वापस बाहर कर देती.
फिर मैंने शबीना को नीचे लेटाया और उसके दोनों पैरों को खोलकर अपने लंड का टोपा उसकी बैचेन कामुक चूत की लकीर पर रखा और उसकी चूत के छोटे छोटे बालों में अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैंने मौका देखकर जोरदार धक्का देकर अपने लंड का टोपा उसकी चूत में सरका दिया. वो बहुत ज़ोर से चीख पड़ी और बोली कि थोड़ा आराम से मुझे बहुत दर्द हो रहा है आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ माँ में आईईईइ मर गई. फिर में दो मिनट रुक गया और दो मिनट के बाद में धीरे धीरे हल्के हल्के झटके मारने लगा और वो दर्द के मारे करहाने लगी ऊईईईइ प्लीज अह्ह्हह्ह्ह्हह् थोड़ा धीरे करो.
मुझे लगा कि यह सही टाईम है और में उसके ऊपर लेट गया और मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर एक ज़ोर का झटका मारा और जैसे ही उसकी चीख निकलती तो मैंने उसकी आवाज़ को दबा दिया और अपना पूरा का पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा और शबीना दर्द में करहा रही थी और रो रही थी प्लीज बस अहहह्ह्ह अब छोड़ दो मुझे आईईई बहुत दर्द हो रहा स्ईईईई है प्लीज छोड़ दो मुझे में मर जाउंगी.
फिर में लंड को चूत के अंदर ही डालकर करीब दो मिनट तक वैसे ही रुक गया और शबीना को उसी पोज़ में चूमता रहा और उसके बूब्स को सहलाता रहा और तभी थोड़ी देर बाद जब शबीना का दर्द कम हुआ तो मैंने फिर से झटके देने शुरू कर दिए और अब शबीना भी अपनी कमर को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और अब हम दोनों बहुत जोश में आ गये और ज़ोर ज़ोर के झटके मारने लगे. तभी अचानक से शबीना बोली कि शायद अब मेरा पानी निकलने वाला है और में एकदम तैयार हूँ. तुम मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो, हाँ बस ऐसे ही चोदते रहो और फिर शबीना की चूत का पानी निकल गया और वो झड़ गई, लेकिन अब मेरी बारी थी.
उसके झड़ने के करीब पांच सात मिनट के बाद मैंने शबीना से कहा कि अब में भी झड़ने वाला हूँ और जैसे ही मेरा वीर्य बाहर निकलने वाला था तो में एकदम से उठकर खड़ा हो गया और शबीना को घुटने के बल बैठाकर मैंने अपना सारा का सारा वीर्य उसके मुहं और छाती पर डाल दिया और वो उसे चाटने लगी. फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उसके दोनों बूब्स को अपने हाथों से साफ किया और बेड पर जाकर सो गये, लेकिन अब भी शबीना मेरा लंड पकड़कर ही लेटी रही और थोड़ी देर बाद मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मैंने देखा कि शबीना मेरा लंड मुहं में लेने के लिए बहुत बैचेन थी और कुछ देर बाद वो उठी और लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी.
फिर करीब 15 मिनट तक चूसते हुये मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुहं में ही छोड़ दिया और वो सारा रस पी गई. उस दिन हमने पूरे दिन में 7 बार सेक्स किया, लेकिन फिर कुछ ही महीनों के बाद शबीना की शादी हो गयी और फिर बीच में वापस वो एक बार अपने घर आई तो उसने मुझे फोन करके बुला लिया और हमने उस दिन भी सेक्स किया और इस बार उसने मेरा सारा वीर्य अपनी चूत के अंदर ही डलवाया जिससे कि वो मेरे होने वाले बच्चे की माँ बन गई और यह बात उसने मुझे आखरी बार फोन पर बताई कि यह तोहफा मैंने उसे दिया है उसके पति ने नहीं और यह बात आज तक राज़ है.
तभी उन्होंने मुझे बताया कि रात को ऑफिस में रुकना सही नहीं रहेगा, क्योंकि हमारा ऑफिस थोड़ा शहर से बाहर था तो वहां पर चोरों का ख़तरा बहुत था, तो अब्दुल मियाँ ने कहा कि आज रात आप मेरे घर पर चलो कल सुबह की कल सुबह देख लीजिएगा और मैंने उन्हे बहुत मना किया, लेकिन वो माने ही नहीं और वो मुझे जबरन अपने घर पर ले गए. उनका घर पास में ही था और उनका बहुत बड़ा कई सारे कमरों का घर था. हमारे घर पर पहुँचते ही उनकी बेगम ने हमारा सत्कार किया और फिर अब्दुल मियाँ ने मेरा परिचय उनको दिया.
अब्दुल मियाँ ने अपने परिवार से मेरा परिचय करवा दिया. उनके परिवार में बहुत सारे लोग थे उनकी माता जी, उनकी बेगम, उनके 6 बच्चे और 4 भाई भी थे और उनकी बीवी और बच्चे अब्दुल मियाँ अपने भाइयों में दूसरे नंबर के भाई थे. उनके बड़े भाई की बीवी की कुछ सालों पहले मौत हो चुकी थी और वो अपने 3 बच्चों के साथ यहीं पर रहती थी. उनकी जॉइंट फॅमिली थी और पिछले इतिहास से वो लोग नवाबो के खानदान से थे और सारे भाई अलग अलग व्यपार करते थे. मेरे वहां पर आने की खुशी में अब्दुल मियाँ ने गोश्त बनवाया और हम सबने मिलकर मज़े लेकर खाया और फिर सोने चले गये और अब्दुल मियाँ ने मुझे मेरा कमरा दिखाया और में सोने जा ही रहा था कि मैंने देखा कि मेरा कमरा पहली मंजिल पर थोड़ा गली में था कि तभी अचानक से मुझे किसी की पायल की आवाज़ सुनाई दी.
फिर मैंने उठकर देखा तो मुझे किसी के हंसने की आवाज़ भी सुनाई दी और अब जैसे ही में बिस्तर से उठकर खड़ा हुआ तो किसी के भागने की आवाज़ आई और मुझे कुछ बच्चे भागते हुए नज़र भी आए तो में भी जाकर सो गया. फिर में सुबह जैसे ही उठा तो मेरा सारे सफ़र की थकावट उतर गई थी. मैंने दरवाज़ा खोला तो पूरा परिवार नीचे बरामदे में जो कि मुझे अपने कमरे से बाहर निकलते ही दिखता है और यह देखकर जैसे ही में पलटा तो मुझे कुछ ऐसा नज़र आया जिसे देखकर में बिल्कुल दंग ही रह गया.
दोस्तों वो थी शबीना, मैंने उसे देखा और बस एक टक नजर से देखता ही रह गया और अचानक से सोचने लगा कि यह लड़की कौन है? कल रात को जब पूरे परिवार से मुलाक़ात हुई थी तब यह तो वहां पर नहीं थी? में बहुत देर तक उसके बारे में सोचता रहा और शबीना की खूबसूरती को निहारता निहारता नीचे उतर आया और बस मेरी नज़र शबीना से हटने को ही तैयार नहीं थी. मेरे सामने एक बला की खूबसूरत लड़की थी. उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि कोई अप्सरा नीचे जमीन पर आ गई हो. उसने हल्के नीले कलर का सूट पहना हुआ था और सर को एक सफेद रंग की चुन्नी से ढका हुआ था में तो बस उसे देखता ही रह गया. जैसे ही में नीचे पहुंचा तो अब्दुल मियाँ मेरे पास आए और मुझसे आदाब कहा पूछा कि जनाब रात की नींद कैसी रही? तो मैंने भी उनको नमस्ते कहा और कहा कि मेरी रात बहुत अच्छी निकली. फिर अब हम बातें करने लगे, तभी अब्दुल मियाँ ने शबीना को बुलाया और उसका मुझसे परिचय करवाया और बोला कि कल रात को वो आपसे मिल ना सकी क्योंकि यह पड़ाई करते करते सो गयी थी, वो उनके बड़े भाई की सबसे बड़ी लड़की थी.
दोस्तों वो बहुत शर्मीली लड़की थी. उसे देखते ही दिल उसके कदमों पर रखने को किया. उसकी हाईट 5.7 के करीब होगी. उसकी काली, काली बड़ी, बड़ी आँखें कमर से भी नीचे तक काले, लंबे बाल और फिगर तो पूछो ही मत 34-26-34 के करीब होगा और उसकी उम्र भी कुछ 20-21 साल की होगी. वो कॉलेज में पड़ती थी और आज कल उसकी शादी के लिए कोई अच्छा सा लड़का ढूंढा जा रहा था.
फिर उसने मुझसे सलाम किया और सर झुकाकर चली गयी. अब में और अब्दुल मियाँ भी नहा धोकर तैयार होकर नाश्ता करके वहां से ऑफिस के लिए निकल गये और फिर उसी शाम को अब्दुल मियाँ ने मुझसे कहा कि जब तक आपको कंपनी की तरफ से कोई फ्लेट नहीं मिलता तब तक आप हमारे साथ ही रह जाये और उनके बच्चो की भी परीक्षा का समय चल रहा है अगर उन्हे कोई समस्या होगी तो वो मुझसे पूछ भी लेंगे और फिर मैंने उनकी हाँ कर दिया. दोस्तों सिलसिला अब शुरू हो गया और अब्दुल मियाँ ने अपने बच्चो को बोल दिया कि उन्हे पढ़ाई में कोई भी समस्या हो तो वो मुझसे पूछ लिया करे. फिर उस शाम को जैसे ही हम घर पर पहुँचे और पहली मंजिल पर अपने कमरे की तरफ जा रहा था तो मैंने देखा कि बच्चो के कमरे की खिड़की खुली हुई थी और शबीना टेबल पर बैठकर अपनी पढ़ाई कर रही थी और में बस वहीं पर एकदम रुक सा गया और अब में सोचने लगा कि काश वक़्त यहीं थम जाए और में ऐसे ही शबीना की सुंदरता को निहारता रहूँगा.
फिर में कुछ देर बाद अपने कमरे में चला गया और अपने प्रॉजेक्ट पर काम करने लग गया. तभी पीछे से अब्दुल मियाँ के बच्चे मेरे पास आए और उनके पीछे शबीना सर झुकाए हुई बहुत सहमी हुई सी खड़ी हुई थी. अशरफ जो कि अब्दुल मियाँ का तीसरे नंबर का बेटा है बोला कि शब्बो दीदी को कुछ समस्या है और अब्बा ने बोला है कि आप उसकी समस्या को हल कर दो और शब्बो दीदी को समझा भी दो कि यह कैसे करना है? इतने में अब्दुल मियाँ की बेगम मेरे लिए चाय लेकर आई और बोली कि इसको एकाउंट्स में बड़ी दिक्कत है और अब इसके पेपर भी सर पर है. जब तक कि में यहाँ पर हूँ इसकी थोड़ी मदद कर दूँ. तो मैंने जवाब दिया कि भाभी जी आप चिंता ना करे, जब तक में यहाँ पर हूँ रोज़ शाम को एक घंटा में इन्हे ट्यूशन दे दूँगा, इसके अलाव की और को भी कोई दिक्कत हो तो वो भी मेरे पास देर रात को भी आकर पूछ सकते है, इन्हें हिचकिचाने की किसी को कोई ज़रूरत नहीं है.
फिर वो बहुत खुश हुई और अब धीरे धीरे में उनके परिवार में एक सदस्य की तरह हो गया सब लोग मुझे पसंद करने लगे थे बच्चों से लेकर बड़े तक, लेकिन शबीना हमेशा मेरे सामने बहुत घबराई हुई सहमी सहमी अपने सर को झुकाए हुए रहती. दोस्तों मेरा एक हफ़्ता वहां पर कैसे बीत गया मुझे पता भी नहीं चला और अब मेरा वहां से जाने का वक़्त आ गया था. घर के सब लोग मेरे जाने से बड़े दुखी थे. सभी लोग मुझसे कहने लगे कि आप यहीं पर रह जाओ. मैंने उनसे कहा कि में यहाँ पर आता जाता रहूँगा और मेरा भी वहां से शबीना को छोड़कर जाने का बिल्कुल भी दिल नहीं था. अब में शहर में रहने चला गया और फिर एक दिन में ऑफिस से घर पर जा रहा था और जैसे ही शहर में बस स्टॉप पर मेरी नज़र पड़ी तो वहां पर शबीना खड़ी हुई बस का इंतज़ार कर रही थी.
मैंने अपनी बाईक रोकी और उल्टा चक्कर मारकर बस स्टॉप पर शबीना के पास आ गया और पूछा कि शबीना तुम यहाँ पर कैसे? तो वो एकदम से घबरा गयी और फिर उसने इधर उधर देखा और बोली कि में घर पर जा रही हूँ और बस का इंतज़ार कर रही हूँ. तो मैंने उससे कहा कि में भी ऑफिस जा रहा हूँ ( दोस्तों मैंने वो उससे एक बहाना मारा था ) चलो रास्ते में तुम्हे घर पर छोड़ देता हूँ, वो पहले तो नहीं मानी फिर मेरे बहुत ज़िद करने पर चलने को तैयार हो गई. मैंने उसे बाईक पर पीछे बैठाया और फिर चल पड़ा. उसका पहली बार छूना ऐसा था कि मेरे तन बदन में आग लगा दी और जैसे ही में ब्रेक लगाऊँ तो उसके बड़े बड़े स्तन जैसे ही टकराते नीचे से पेंट के अंदर ही टेंट खड़ा हो जाता और में मन ही मन बहुत खुश होता.
अब रोज़ शाम को में शबीना को स्टॉप से लेकर घर पर छोड़ता और धीरे धीरे वो भी मुझसे खुलने लगी. कुछ दिनों के बाद में ऑफिस में था. सुबह के 11 बजे थे और मेरे फोन पर एक कॉल आया तो मैंने उस बहुत सुरीली सी आवाज़ में हैल्लो सुना तो मैंने पूछा कि आप कौन हो? तो वो शबीना थी और वो कहने लगी कि आज मेरे कॉलेज में कोई प्रोग्राम है उसका जाने का दिल नहीं है क्या में उसे लेने आ सकता हूँ? तो मैंने उसे झट से हाँ कह दिया और में ऑफिस में बोलकर निकल गया और अब शबीना वहां पर रोज़ की तरह बस स्टेंड पर मेरा इंतजार कर रही थी. में वहां पर पहुँचा और पूछा कि क्या हुआ? तो वो मुझसे बोली कि कुछ नहीं चलो कहीं बाहर घूमने चलते है.
मैंने कहा कि ठीक है हम सबसे पहले फिल्म देखने चले गये. उस दिन वो बड़ी सजधज कर आई थी, मैंने पूछा तो बोली कि कॉलेज में आज उसकी पार्टी थी और अब उसने उदास होकर मेरे कंधे पर सर रख दिया और उसकी आँखे बिल्कुल नम पढ़ गयी और फिल्म खत्म होते ही शबीना मुझसे बोली कि चलो अब तुम्हारे घर पर चलते है तो में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत चकित हो गया और फिर हम दोनों मेरे रूम पर आ गए और जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया तो पीछे से शबीना ने मुझे पकड़ लिया और रोने लगी बोली कि अब्बा ने मेरे लिए एक लड़का ढूंड लिया है और अब मेरा कॉलेज भी आज ख़त्म हो गया है. अब कल से में तुम्हारे साथ नहीं आ सकती में तुम्हारी होना चाहती हूँ और में तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ.
उसके मुहं से यह बात सुनकर में चकित हो गया और मैंने उसे अपनी आगोश में ले लिया और चूमने लगा. वो भी अब धीरे धीरे मदहोश होकर मेरा साथ देने लगी तो में शबीना को गोद में उठाकर बेडरूम की तरफ ले गया और उसे बेड पर लेटा दिया और फिर उसे लगातार किस करता रहा. वो कहने लगी कि में सिर्फ़ तुम्हारी होना चाहती हूँ मैंने कई बार सपनो में तुम्हारे साथ सेक्स किया और अपना पानी छोड़ा है, प्लीज आज मेरे सारे सपने पूरे कर दो आज मेरी जवानी का फल मुझे दे दो में तुम्हारे लिए आई हूँ. में जोश में आ गया और अचानक से शबीना ने मुझे धक्का मारा और अब वो मेरे ऊपर आ गई.
फिर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी और मेरी छाती को चाटने लगी. वो मेरे निप्पल को चाट रह थी. फिर कुछ देर बाद उसने खुद अपनी कमीज़ उतारी और जैसे ही उसने अपनी कमीज़ उतारी तो नीचे उसका दूध के जैसा गोरा बदन मुझे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था. उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि उसके बड़े बड़े बूब्स उनमे से निकलकर बाहर आने को बेकरार हो रहे है फिर वो वापस मेरे ऊपर लेट गयी और अब वो अपने स्तन मेरे चेस्ट पर रगड़ने लगी. जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. उसके स्तन बिल्कुल मुलायम मुलायम एकदम गोल बड़े आकार के थे और अब मैंने उसे नीचे गिराया और उसके ऊपर आ गया.
में उसकी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा वो और भी पागल सी हो गई. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और अपने दांतो की मदद से उसकी सलवार को उतारने की कोशिश करने लगा और वो बैचेन सी हो गयी और अब उसने खुद ही अपनी सलवार को पूरी तरह से उतारकर एक साईड कर दिया और उसकी मोटी मोटी जांघे अब धीरे धीरे मुझे अपनी तरफ ललचा रही थी. उसने लाल रंग की पेंटी पहनी हुई थी तो में उसे देखकर पागल सा हो गया और मैंने उसका पैर ऊपर उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और उसके तलवों को चाटने लगा और उसकी पैर की उंगलियों को चूसना शुरू किया.
अब मेरे ऐसा करने से शबीना भी पागल सी हो गयी और ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी. मैंने उसे उल्टा कर दिया और उसके कूल्हों को चाटने लगा और ऊपर की तरफ उसकी पीठ पर चढ़ गया. फिर मैंने अपने दांतो से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसे जैसे ही सीधा किया तो उसके बड़े बड़े बूब्स मेरे सामने थे और उसके निप्पल एकदम गुलाबी कलर के थे. मैंने उन्हे धीरे धीरे अपने दोनों हाथों से सहलाना शुरू किया और शबीना सिसकियाँ भरने लगी और एकदम से सिहर उठी.
फिर मैंने उसके निप्पल को अपने दांतो से काटा तो वो चीख पड़ी अफ उह्ह्ह्ह माँ में तो मर ही जाउंगी ऊईईईईईइ प्लीज थोड़ा जल्दी करो, अब मुझसे ज्यादा बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज अब कुछ करो. तो मैंने उससे कहा कि मेरी रानी वैसे मुझे तो इतने दिनों के बाद तुम्हे चोदने का मौका मिला है और आज तो पूरी की पूरी कामसूत्र की किताब तुझे पढ़नी है, देख आज कितना मज़ा आएगा. फिर में धीरे धीरे उसके बूब्स को चूसते चूसते नीचे की तरफ आ गया और उसकी पेंटी के ऊपर से ही में उसकी चूत को चाटने लगा और उसकी पूरी चूत को अपने मुहं में ले लिया. उस समय शबीना मेरा सर पकड़कर अपनी चूत में दबाने लगी और एक ही झटके में मुझे हटाकर अपनी पेंटी को भी उतार फेंका और अपने दोनों पैरों को खोलकर मुझे अपनी चूत को चूसने का इशारा करते हुए नीचे बैठ गयी.
मैंने भी उसकी जांघो को चाटना शुरू किया और उसकी दोनों जांघे अपने कंधे पर रखी और अब में उसके दोनों पैरों के बीच में लेट गया और उसकी चूत को चाटने लगा और उसे अपनी जीभ से चोदता रहा और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स भी दबाता रहा. शबीना भी अपनी कमर को उछालती हुई मज़े ले रही थी और सिसकियाँ ले रही थी उफफफ्फ़ आअहहह्ह्ह हमम्म्ममममोह चोदो मुझे क्यों तड़पा रहे हो, में अब पूरी तरह से गरम हो चुकी हूँ और फिर उसने मुझे धकेलकर मुझे अपने से अलग कर दिया और मेरी पेंट उतारने की कोशिश करने लगी और मेरी पेंट उतारने बाद मेरी अंडरवियर को नीचे किया तो मेरा काला 6 इंच का मोटा लंड देखकर उसकी आँखो में एक अजीब सी ख़ुशी की चमक सी आ गई और ज़ोर से हंसते हुए उसने मेरा लंड अपने मुहं में ले लिया और वो ज़ोर ज़ोर से एक अनुभवी की तरह मेरा लंड चूसने लगी.
अब तक हम दोनों पूरे गरम हो रहे थे और मैंने उससे 69 पोज़िशन में आने को कहा और मैंने उससे पूछा कि तुम इतना अच्छा कैसे कर लेती हो? तो वो बोली कि में आपका ख्याल रखते हुए मैंने कई सारी पॉर्न फिल्म नेट पर देखी है और में बस अब वैसा ही करने की कोशिश कर रही हूँ. फिर मैंने कहा कि वाह तुम बहुत अच्छा कर रही हो और हम 69 पोज़िशन में आ गये और में उसकी रसीली चूत को चाट रहा था और वो मेरे लंड पूरा का पूरा अंदर ले जाकर चूसती और फिर एक लंबी सी साँस लेती और लंड मुहं से बाहर निकालती.
अब शबीना एकदम सीधी हुई और मेरे खड़े लंड पर बैठने की कोशिश करने लगी और कहती कि मुझे बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन में इस दर्द के पीछे छुपे हुए मज़े को खुद महसूस करना चाहती हूँ और बहुत देर तक लगातार कोशिश के बाद भी बस मेरे लंड का टोपा ही उसकी चूत के अंदर गया था, क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी थी और अब तक सील पेक भी थी इसलिए मेरा 6 इंच मोटा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था और थोड़ा ज्यादा अंदर लेते ही शबीना एकदम से उछल पड़ती और लंड को वापस बाहर कर देती.
फिर मैंने शबीना को नीचे लेटाया और उसके दोनों पैरों को खोलकर अपने लंड का टोपा उसकी बैचेन कामुक चूत की लकीर पर रखा और उसकी चूत के छोटे छोटे बालों में अपना लंड रगड़ने लगा. फिर मैंने मौका देखकर जोरदार धक्का देकर अपने लंड का टोपा उसकी चूत में सरका दिया. वो बहुत ज़ोर से चीख पड़ी और बोली कि थोड़ा आराम से मुझे बहुत दर्द हो रहा है आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह उफफ्फ्फ्फ़ माँ में आईईईइ मर गई. फिर में दो मिनट रुक गया और दो मिनट के बाद में धीरे धीरे हल्के हल्के झटके मारने लगा और वो दर्द के मारे करहाने लगी ऊईईईइ प्लीज अह्ह्हह्ह्ह्हह् थोड़ा धीरे करो.
मुझे लगा कि यह सही टाईम है और में उसके ऊपर लेट गया और मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर एक ज़ोर का झटका मारा और जैसे ही उसकी चीख निकलती तो मैंने उसकी आवाज़ को दबा दिया और अपना पूरा का पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर उतार दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा और शबीना दर्द में करहा रही थी और रो रही थी प्लीज बस अहहह्ह्ह अब छोड़ दो मुझे आईईई बहुत दर्द हो रहा स्ईईईई है प्लीज छोड़ दो मुझे में मर जाउंगी.
फिर में लंड को चूत के अंदर ही डालकर करीब दो मिनट तक वैसे ही रुक गया और शबीना को उसी पोज़ में चूमता रहा और उसके बूब्स को सहलाता रहा और तभी थोड़ी देर बाद जब शबीना का दर्द कम हुआ तो मैंने फिर से झटके देने शुरू कर दिए और अब शबीना भी अपनी कमर को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और अब हम दोनों बहुत जोश में आ गये और ज़ोर ज़ोर के झटके मारने लगे. तभी अचानक से शबीना बोली कि शायद अब मेरा पानी निकलने वाला है और में एकदम तैयार हूँ. तुम मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो, हाँ बस ऐसे ही चोदते रहो और फिर शबीना की चूत का पानी निकल गया और वो झड़ गई, लेकिन अब मेरी बारी थी.
उसके झड़ने के करीब पांच सात मिनट के बाद मैंने शबीना से कहा कि अब में भी झड़ने वाला हूँ और जैसे ही मेरा वीर्य बाहर निकलने वाला था तो में एकदम से उठकर खड़ा हो गया और शबीना को घुटने के बल बैठाकर मैंने अपना सारा का सारा वीर्य उसके मुहं और छाती पर डाल दिया और वो उसे चाटने लगी. फिर मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले जाकर उसके दोनों बूब्स को अपने हाथों से साफ किया और बेड पर जाकर सो गये, लेकिन अब भी शबीना मेरा लंड पकड़कर ही लेटी रही और थोड़ी देर बाद मेरा लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मैंने देखा कि शबीना मेरा लंड मुहं में लेने के लिए बहुत बैचेन थी और कुछ देर बाद वो उठी और लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी.
फिर करीब 15 मिनट तक चूसते हुये मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुहं में ही छोड़ दिया और वो सारा रस पी गई. उस दिन हमने पूरे दिन में 7 बार सेक्स किया, लेकिन फिर कुछ ही महीनों के बाद शबीना की शादी हो गयी और फिर बीच में वापस वो एक बार अपने घर आई तो उसने मुझे फोन करके बुला लिया और हमने उस दिन भी सेक्स किया और इस बार उसने मेरा सारा वीर्य अपनी चूत के अंदर ही डलवाया जिससे कि वो मेरे होने वाले बच्चे की माँ बन गई और यह बात उसने मुझे आखरी बार फोन पर बताई कि यह तोहफा मैंने उसे दिया है उसके पति ने नहीं और यह बात आज तक राज़ है.
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